Wednesday 18 February 2015

क्षणिकायें

मत ढूंढो रिश्तों को 
कुछ पाने की चाहत में,
चल नहीं पायेंगे दूर तक.

जब खड़े होते हैं रिश्ते
कुछ देने की चाह की नींव पर,
झेल जाते सब आंधी तूफ़ान
और खड़े रहते साथ अंत तक.

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केवल योजना और वादों पर 
नहीं बनते सफलताओं के महल,
छोटी छोटी राहों पर भी 
जो थाम लेता हाथ 
होते हुए भी अकिंचन,
बन जाता है वह
सफलता के महल की 
पहली ईंट.

...कैलाश शर्मा 

Tuesday 10 February 2015

चुनरी रंग गयी तेरे रंग में

चुनरी रंग गयी तेरे रंग में।
श्याम रंग में जब रंग लीनी, रंगे न दूजे रंग में। 
प्यार में तेरे जोगन हो गयी, नाचूँ तेरे संग में।      
बंसी मुझे बना लो कान्हा, रहूँ अधर के संग में।    
पागल हो कर प्रेम में तेरे, भूल गयी रंग ढंग में।    
ये जग मुझको रास न आवे, बिन तेरे बेरंग मैं।
....कैलाश शर्मा